wheat crop: इस वजह से पीली पड़ जाती हैं गेहूं की पत्तियां जानिए इस समस्या से बचने का उपाय

wheat crop: इस वजह से पीली पड़ जाती हैं गेहूं की पत्तियां जानिए इस समस्या से बचने का उपाय

कई किसानों के खेतों में गेहूं के पत्ते पीले पड़ रहे हैं, जिससे किसान काफी चिंतित हैं. उन्हें समझ नहीं आ रहा कि इसकी वजह क्या है सही जवाब नहीं मिलने से किसान परेशान हैं यह जानना बहुत जरूरी है कि गेहूं की निचली पत्तियां पीली क्यों हो रही हैं इसके पीछे क्या विज्ञान है और इस समस्या का समाधान कैसे किया जाए।

गेहूं की फसल रबी मौसम में उगाई जाती है इसलिए स्वाभाविक रूप से यह ठंडा तापमान पसंद करने वाली फसल है पंजाब, हरियाणा उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में इसकी बड़े पैमाने पर खेती की जाती है। लेकिन कई किसानों के खेतों में गेहूं की पत्तियां पीली पड़ रही हैं जिससे किसान काफी चिंतित हैं वे समझ नहीं पा रहे हैं कि इसके पीलेपन का कारण क्या है सही जवाब नहीं मिलने से किसान परेशान हैं यह जानना बहुत जरूरी है कि गेहूं की निचली पत्तियां पीली क्यों हो रही हैं। इसके पीछे का विज्ञान क्या है और इस समस्या का समाधान कैसे होगा इस विषय पर कृषि वैज्ञानिकों ने सुझाव दिये हैं

wheat crop
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गेहूं की पत्तियों में पीलेपन की समस्या

बिहार के राजेंद्र केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा समस्तीपुर के पौधा संरक्षण विभाग के प्रमुख डॉ. एसके सिंह ने इस संबंध में किसान से बात करते हुए कहा कि गेहूं की अच्छी वृद्धि के लिए ठंडक जरूरी है लेकिन अत्यधिक ठंड के कारण कहीं पहली सिंचाई तो कहीं दूसरी सिंचाई से खेत में पानी भर जाने से गेहूं की निचली पत्तियां पीली पड़ रही हैं उन्होंने बताया कि सर्दी के मौसम में मिट्टी में सूक्ष्मजीवी गतिविधियों का पौधों पर काफी प्रभाव पड़ता है और सूक्ष्मजीव जीवों और पौधों द्वारा पोषक तत्वों के अवशोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं

डॉ. एसके सिंह ने बताया कि सर्दियों में जब तापमान बहुत कम हो जाता है तो अत्यधिक ठंड के कारण पौधों द्वारा पोषक तत्वों को आत्मसात करने की प्रक्रिया प्रभावित होती है। सूक्ष्मजीवों की चयापचय प्रक्रियाएं सीधे तापमान से जुड़ी होती हैं। इस पर्यावरणीय कारक का मिट्टी में सूक्ष्मजीवों पर गहरा प्रभाव पड़ता है बैक्टीरिया और कवक जैसे सूक्ष्मजीव मिट्टी से पौधों तक पोषक तत्व पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं सूक्ष्मजीव नाइट्रोजन फास्फोरस और पोटेशियम के साथ-साथ मिट्टी में पड़े सूक्ष्म पोषक तत्वों को विघटित करते हैं और उन्हें मिट्टी में छोड़ देते हैं जिससे वे पौधों को अवशोषित करने के लिए उपलब्ध हो जाते हैं।

गेहूँ की पत्तियाँ पीली क्यों हो जाती हैं

डॉ. एसके सिंह ने कहा कि जैसे-जैसे सर्दी बढ़ती है, सभी जीवित जीवों की तरह, समग्र माइक्रोबायोम में माइक्रोबियल गतिविधि भी कम हो जाती है। सर्दियों के मौसम में तापमान में बहुत अधिक गिरावट के कारण इस प्रक्रिया की दक्षता काफी कम हो जाती है और अपघटन दर कम हो जाती है इससे पौधों के लिए पोषक तत्वों की उपलब्धता प्रभावित होती है। इसके अलावा ठंडे तापमान में बीमारियों के कीटाणु भी पोषक तत्वों तक पहुंचने की प्रक्रिया में बाधा डालते हैं परिणामस्वरूप, पौधों को मिट्टी से आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है

कैसे दूर होगी पीलेपन की समस्या

सर्दियों के मौसम में अत्यधिक ठंड के कारण गेहूं के खेतों में सूक्ष्मजीवी गतिविधि भी कम हो जाती है। इससे नाइट्रोजन ग्रहण कम हो जाता है। गेहूं के पौधे अपने अंदर मौजूद नाइट्रोजन को नाइट्रेट के उपलब्ध रूप में परिवर्तित करते हैं। अत्यधिक गतिशील होने के कारण नाइट्रोजन निचली पत्तियों से ऊपरी पत्तियों की ओर बढ़ती है। इसलिए निचली पत्तियाँ पीली हो जाती हैं। उन्होंने बताया कि यदि तापमान बढ़ता है तो गेहूं की निचली पत्तियों का पीलापन कम हो जाता है

डॉ एस के सिंह ने सुझाव दिया है कि यदि समस्या अधिक गंभीर लगे तो 02 प्रतिशत यूरिया यानि (20 ग्राम यूरिया) प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। अधिक ठंड में गेहूं व अन्य फसलों को बचाने के लिए हल्की सिंचाई करनी चाहिए। खेतों (मेड़ों) आदि के किनारों पर धुआं करें। इससे पाले का प्रभाव काफी कम हो जाएगा। यदि पौधे की पत्तियां गिर रही हों या पत्तियों पर धब्बे दिखाई दे रहे हों तो डाइथेन एम-45 नामक फफूंदनाशक दवा की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से भी पाले का प्रभाव कम हो जाता है।

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